श्रधांजलि
प्रेम दया अनुशासन - जीवन इन शब्दों का नाता था.
हर परिस्थिति में प्रसन्नता - ऐसा आपका नारा था.
आपके साथ बिताया हर पल कभी नहीं मैं भूलूंगा,
आपसे मिला स्नेह धन सदैव सहेज कर रखूँगा.
कंटकाकीर्ण मार्ग कभी नहीं हुई आपके लिए समस्या.
आप रहते थे बिलकुल सहज
अब विदित हुआ की आप गृहस्थ आश्रम में कर रहे थे तपस्या.
दूजे का कष्ट पर्वत और अपना कष्ट धूल समान,
कुल की मान मर्यादा का आपने रखा सदा सम्मान.
आपके पदचिन्हों पर रहूँगा सदा मैं अग्रसर,
आपने पथ पर अडिग रहूँगा, इसका साक्षी है इश्वर.
शत शत बार प्रणाम मैं करता हूँ आपको.
यह छोटी सी श्रधांजलि मैं भेंट करता हूँ आपको.
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