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Sunday 18 April 2010

GOLGAPPE WALAH


Have you ever looked at the face of Golgappa Walah while eating beside his stall for a while? 

गोलगप्पे  वाला

जैसे ही घडी  शाम के पांच बजती है,
वैसे ही गोलगप्पे वाले  की दिनचर्या शुरू हो जाती है.

वह गरीब न जाने कितने संकटों का शिकार है.
पर क्या फिर भी उसके मुख पर किसी प्रकार का विकार है?

अगर आप उससे मिलोगे, सोचोगे संसार का सबसे प्रसन्न व्यक्ति है,
पर जान उसकी व्यथा कथा, विचारोगे, कौन सी उसमे शक्ति है?

कौन सी वह  शक्ति है, जो बेटी ब्याह के चिंता में भी मुस्कुराती है,
अपिरिमित क़र्ज़ का भार भी दबाती है,
और बुढ़ापे में जीर्ण शारीर से भी परिश्रम कराती है.

कारण तो सभी जानते हैं, आप भी और मैं भी,
एक वृध गोलगप्पे वाला है, जिसका कारण है परिवार और पैसा भी.

वह अपने सभी ग्राहकों के दुःख सुख में शामिल होता है,
उसका उदास मुख देखना प्रभु दर्शन के समान होता है.

लेकिन उसे  कभी किसी से शिकायत न रही.
उसकी ज़िन्दगी अपने ढर्रे पर चलती रही.

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