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Sunday 18 April 2010

PREMARTH


Every mortal in this world get bitten at least once in his/her lifetime by the 'love bug'!!!!

प्रेमार्थ

'प्रेम!'........कितना मधुर, शीतल एवं नम्रता से परिपूर्ण है.
समस्त सृष्टि का आदि अंत इसमें संपूर्ण है.

प्रेम किसको नहीं? सबको है
शमा को परवाने से,
नभ को धरा से,
और फूलों को ओस से.

निश्छल, निर्गुण एवं आनंद का है यह एहसास,
हर प्रेमी रचते हैं प्रेम का एक नया इतिहास.

विश्वास की धरा पर ऐसा हो प्रेम का वादा,
कितनी भी मुश्किलें आयें, अडिग रहे यह नाता.

न रंग रूप से, न सौंदर्य के बनावटी परदे से,
प्रेम होता है आपसी मन एवं हृदय मिलाप के मधुर भाव से.

हर प्रेमी की है यह कसम,
जब तक संसार में हैं, तबतक रहेंगे हरदम संग.

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